कम एएमएच (Low AMH) में कैसे करें गर्भधारण ?
आपको अक्सर सुनने को मिलता होगा। कि 30 साल की उम्र से पहले गर्भधारण की योजना बनाना सबसे अच्छा है। लेकिन आज अच्छे कैरियर की चाह एवं किसी अन्य कारण से यह संभव नहीं है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि एक बच्चे को गर्भ धारण करने एक महिला की एएमएच (एंटी-मुलरियन हार्मोन) सबसे महत्वपूर्ण कारकों में से एक है, जो महिला में के उम्र पर निर्भर करता है।
कब होता है कम और ज्यादा एएमएच लेवल ?
एएमएच का लेवल 2.5ng/ml से 6.0ng/ml के बीच होता है | यदि AMH का लेवल 1.5ng/ml से भी कम होता है ,तो इस बात की जानकारी मिल जाती है। कि अण्डों की संख्या कम है और अगर AMH का लेवल 4ng/ml से अधिक होता है, तो इस बात का संकेत मिलता है। कि अंडाशय में काफी ज्यादा फोलिकल्स (FOLLICLES) है जिसे पीसीओडी या पीसीओएस के नाम से जानते है।
एएमएच टेस्ट के अतिरिक्त एक अन्य टेस्ट भी किया जाता है । जिससे हमें महिलाओं की ओवरी में शेष कितने FOLLICLES है इसकी जानकारी मिल जाती है। जिसे टीवीएस यूएसजी (TVS USG) कहते हैं। यह माहवारी के दूसरे या फिर तीसरे दिन किया जाता है। यह टेस्ट इस बात की पुष्टि करता है। कि कितने ANTRAL फोलिकल्स (ANTRAL FOLLICLES) हैं |
एक महिला में गर्भाशय, अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब मुख्य अंग होते हैं। इसमें एक अंडे के परिपक्व होने और हर महीने अंडाशय से बाहर आने की उम्मीद की जाती है। अंडाणु (ovam) अंडाशय से बाहर और फैलोपियन ट्यूब में जाता है। संभोग के बाद, शुक्राणु योनि के माध्यम से गर्भाशय में प्रवेश करता है। वहां से यह फैलोपियन ट्यूब में अंडाशय की यात्रा करता है। वहां भ्रूण निषेचन द्वारा बनता है और गर्भाशय में स्थापित हो जाता है।
इन सभी प्रक्रियाओं में, यह आवश्यक है कि महिला के अंडाशय में पर्याप्त अंड़े हों। इन अंड़ो (स्त्री बीज) की संख्या लड़की के जन्म के समय से लेकर मासिक धर्म शुरू होने तक अधिक होती है। हालांकि बाद में यह संख्या घटने लगी। आम तौर पर एक महिला का मासिक धर्म बंद होने की समाप्ति पर वह अंडे रिलीज करती है। लेकिन कुछ महिलाओं में अंडाशय की संख्या बहुत तेजी से घट जाती है। और इसलिए प्रजनन क्षमता कम होने लगती है। भारतीय महिलाओं में प्रजनन क्षमता 30 साल की उम्र से कम होने लगती है और यौवन के बाद तेजी से घटने लगती है।
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सीरम एएमएच टेस्ट से एक महिला की प्रजनन क्षमता की जांच होती है। एएमएच एक एंटीमुलेरियन हार्मोन है। यह हार्मोन अंडाशय की संख्या को कम करने के लिए लड़ता है। नतीजतन, अंडाशय की संख्या तेजी से घट जाती है। दूसरी ओर, पॉलीसिस्टिक अंडाशय वाली महिलाओं (लक्षण: अनियमित मासिक धर्म, अनचाहे चेहरे के बाल, छाले, मोटापा, अंडाशय का बड़ा आकार) में अविकसित अंडाशय की संख्या बहुत अधिक होती है, इसलिए एएमएच का स्तर बहुत अधिक दिखाई देता है। इन महिलाओं को प्रेग्नेंसी की भी समस्या होती है। इसलिए, एक महिला की प्रजनन क्षमता के लिए एएमएच का उचित स्तर आवश्यक है। यह परीक्षण आपको बता सकता है कि एक महिला गर्भवती क्यों नहीं है। इसके अलावा, खराब ओव्यूलेशन बार-बार गर्भपात का एक कारण हो सकता है। हालांकि, ऐसी महिलाओं में एएमएच का स्तर कम होता है।
यदि एएमएच का स्तर कम है, तो आयुर्वेदिक औषधियां हैं जिनका उपयोग करके एएमएच के स्तर में सुधार किया जा सकता है। साथ में अच्छी लाइफ स्टाइल एवं डाइट हमेशा से ही बहुत उपयोगी रही है। मेनोपॉज से लगभग तेरह से चौदह साल पहले, एएमएच कम होना शुरू हो जाता है। यह कुछ आनुवंशिक कारकों के कारण हो सकता है। कम एएमएच स्तर वाली महिलाओं में मासिक धर्म अन्य महिलाओं की तुलना में पहले बंद हो जाता है।
यदि एएमएच का स्तर एक निश्चित स्तर से नीचे चला जाता है, तो आयुर्वेद की पंचकर्मा थेरेपी का उपयोग करने से भी गर्भधारण आसान हो सकता है क्योंकि पर्याप्त अंडे बनाने में मदद मिलती है। इस मामले में, महिला के गर्भ में बच्चा अपने ही रूप में विकसित होगा। फिर भी कई महिलाएं इस उपाय को अस्वीकार कर देती हैं क्योंकि वे आनुवंशिक पालन-पोषण चाहती हैं। कई महिलाओं की मानसिक पीड़ा कम हो जाएगी यदि वे यह समझें कि उसके शरीर के मांस पर जो बच्चा विकसित हुआ है, वह हर तरह से एक जैसा है।
आजकल आयुर्वेदिक तरीके से कम एएमएच वाली महिलाओं के अंडाशय से अधिकतम अंडे प्राप्त करने के लिए कुछ उत्तरबस्ती और औषधि समाधान उपलब्ध हैं। इसका उपयोग वर्षों पूर्व महिलाओं की प्रजनन क्षमता में वृद्धि के लिए किया जाता रहा हैं। आशा आयुर्वेदा फर्टिलिटी सेंटर में भी उत्तर बस्ती थेेरेपी उपलब्ध है । जो महिलाओं को मातृत्व सुख देने में बहुत ज्यादा कारगर साबित हो रही है।
आयुर्वेद की इस पद्धति का उपयोग करके युवा लड़कियां और जोड़े कुछ महत्वपूर्ण निर्णय ले सकते हैं। आजकल शादियों में देरी हो रही है। युवा जोड़े तुरंत बच्चे पैदा नहीं करना चाहते हैं। लेकिन देर करना नुकसानदायक हो सकता है। 30 साल की उम्र से पहले गर्भधारण की योजना बनाना सबसे अच्छा है, लेकिन किसी कारण से यह संभव नहीं है। हालांकि, यह ध्यान रखना जरूरी है कि गर्भावस्था में एक महिला की उम्र सबसे महत्वपूर्ण कारक है।
आजकल, एक महिला के लिए यह भी संभव है कि अगर वह अपनी स्थिति के कारण गर्भधारण करने में असमर्थ हो तो पंचकर्मा पद्धति का उपयोग करके एएमएच में वृद्धि कर सकती हैं।
आज प्रसव के लिए उपचार चाहने वाले कई दम्पति इस बात से अवगत हैं। और कई ऐसे मरीज भी हैं जो कहते हैं कि मेरा एएमएच कम है, लेकिन मुझे नहीं पता कि एएमएच क्या है और यह कम क्यों है। आशा है कि उपरोक्त जानकारी ऐसे जोड़ों और नवविवाहित जोड़ों के काम आएगी।
अंत में गर्भावस्था को समय पर करवाना जरूरी है, लेकिन बच्चे को इस दुनिया में लाने से पहले यह जांचना अच्छा नहीं है कि पति-पत्नी के बीच संबंध परिपक्व हैं या नहीं और आसपास की परिस्थितियां अनुकूल हैं या नहीं। नहीं तो हमारे समाज में बहुत से ऐसे लोग हैं जो उन जोड़ों को तीखी सलाह देते हैं जिन्हें बच्चा पैदा करने के लिए एक-दूसरे का साथ नहीं मिलता।
कम एएमएच में प्रेगनेंसी –
आयुर्वेद कहता है। कि यदि किसी महिला में कम अंडे बनते है अर्थात उसका एएमएच लेवल कम हैं। तो ऐसा बिल्कुल भी नही है। कि वह महिला गर्भधारण नही कर सकती है। परंतु गर्भधारण करना सामान्य महिला जितना आसान नही होता है। और यदि गर्भधारण हो भी जाता है। तो गर्भपात (मिसकैरेज) की संभावना अधिक होती है।
ऐसे में यदि आप एएमएच टेस्ट करा लेते है और इस बात कि पुष्टि भी हो जाती है। कि आपका एएमएच लेवल कम है। तो फिर आप आयुर्वेदिक उपचार एवं पंचकर्मा पद्धति की मदद से आसानी से गर्भधारण कर सकती है। आयुर्वेदिक उपचार आपके अंड़ो की संख्या में वृद्धि करता है और साथ ही आयुर्वेदिक उपचार पूरी तरह से दुष्प्रभाव रहित होते है।
अब तक आशा आयुर्वेदा ऐसी बहुत सारी महिलाओं को माँ बनने में मदद कर चुका है । जिनका एएमएच लेवल बहुत ही कम था। जिन्होंने माँ बनने की उम्मीद खो दी थी । परंतु आशा आयुर्वेदा की फर्टिलिटी एक्सपर्ट डॉ चंचल शर्मा एवं उनकी टीम के सहयोग से बहुत सारे निःसंतान दंपतियों को संतान सुख मिला है।
क्या आप भी कम AMH से परेशान हैं तो आशा आयुर्वेदा के फर्टिलिटी स्पेशलिस्ट आपकी मदद के लिए हमेशा तत्पर हैं |
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