महिला निःसंतानता क्या है? जब महिला गर्भधारण करने के लिए असुरक्षित रुप से एक वर्ष या इससे अधिक समय तक संबंध बनाती है और इसके बाद भी वह गर्भ धारण करने में असमर्थ हो जाती है तो उसे निःसंतानता (बांझपन) कहते है। यह निःसंतानता आज कल लगभग 40 प्रतिशत महिलाओं में देखी जाती है। आयुर्वेद महिलाओं में प्रजनन सम्बंधित प्रणाली की एक अलग तरीके से पहचान करता है। जिसमे एक महिला ‘श्रोणि’ है जबकि रक्त और पोषण की आपूर्ति के लिए लिए दो मुख्य ‘श्रोत’ हैं। रजोवाहा श्रोत (Rajovaha srota) – गर्भाशय, गर्भाशय ग्रीवा और योनि को रक्त और पोषण की आपूर्ति करता है। अर्वाथ श्रोत (Artavaha srota) – इसके द्वारा अंडाशय और फैलोपियन ट्यूब में रक्त की आपूर्ति संभव हो पाती है। आयुर्वेद के अनुसार गर्भाधान एक स्वस्थ शुक्राणु, एक स्वस्थ अंड और एक स्वस्थ गर्भाशय से ही संपन्न होता है। शुक्राणु ‘पुरुष और महिला दोनों में स्वस्थ प्रजनन प्रणाली के लिए जिम्मेदार है और स्वस्थ शुक्राणु शरीर के अन्य सभी ऊतकों के स्वास्थ्य पर निर्भर करता है। यदि इसमें जरा सा भी दोष होगा यो महिला गर्भ धारण नही कर पायेगी।
महिलाओं में निःसंतानता के लक्षण – महिला निःसंतानता का कारक क्या है?
यह सवाल उन हजारो हजार महिलाओं के जहन में जरूर आता होगा जो गर्भधारण करने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन दुर्भाग्यवश जो गर्भवती नहीं हो पा रही है । आज परिस्थिति यह है कि दुनिया में ऐसे हजारो हजार दंपत्ति है जो की निःसंतानता से जूंझ रहें है और ये संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। वैसे तो इस समस्या का पता लगाना आसान काम नही है परंतु महिलाओं में कुछ ऐसे लक्षण हैं जो की आगे चल कर निःसंतानता का कारण बन सकते है इसलिए जरूरी है कि इसपर ध्यान दिया जाए ।
अनियमित मासिक चक्र – सामान्य चक्र 28 दिनों का होता है। यदि मासिक धर्म चक्र 21 से 35 दिनों तक रहता है परंतु निश्चित आवर्त पर तो भी ये के एक सामान्य स्थिति है । दिक्कत तो तब आती है जबकि इसमें अस्थिरता होती है अर्थात कभी बहुत दिनों तक ऋतुस्त्राव और कभी अचानक से बंद हो जाना यह स्थिति हार्मोनल असंतुलन जैसे कि हाइपरप्रोलैक्टिनीमिया या PCOS के कारण होता है जिससे की महिलाओं में निःसंतानता के लक्षण उत्पन्न हो सकतें हैं। एंडोमेट्रियोसिस के कारण भारी और दर्दनाक माहवारी हो सकती है और लगभग 20 – 40 % महिलाओं में यहीं निःसंतानता का कारण बनती है। इसके अतिरिक्त संभोग के दौरान दर्द एंडोमेट्रियोसिस या पैल्विक में सूजन के कारण हो सकता है। अचानक वजन बढ़ना, बालों का गिरना, थकान, चेहरे के बाल, सिरदर्द हार्मोनल डिसऑर्डर के लक्षण हैं। हार्मोनल असंतुलन भी महिला में निःसंतानता के संकेत हैं। मुख्य रूप से महिलाओं में निःसंतानता के कारण मासिक धर्म चक्र महिलाओ में प्रजनन प्रणाली के स्वास्थ्य का संकेत है जो कि विभिन्न कारकों से प्रभावित होता है जैसे आहार, मानसिक तनाव, जीवन शैली, बहुत सारा शारीरिक एवं मानसिक श्रम आदि। आयुर्वेद के अनुसार महिला निःसंतानता के मुख्य कारण इस प्रकार से हैं वात दोष मुख्य रूप से अंडों में खराबी उत्पन्न करने के लिए जिम्मेदार है और इसलिए कई बार यह निःसंतानता का कारण बनता हैं वात ’मुख्य रूप से भय, तनाव, चिंता, आघात, उपवास के कारण या कई बार ठंडे-सूखे और हल्के पदार्थों के सेवन करने से असंतुलित हो जातें हैं। पित्त दोष के परिणामस्वरुप फैलोपियन ट्यूब में सकारिंग हो जाती है जो की डिम्ब या अंडे के अवतरण को बाधित करती है। जिससे निःसंतानता उत्पन्न होती है। अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब या thickened फैलोपियन ट्यूब, गर्भाशय फाइब्रॉएड, बढे हुए कफदोष के कारण निःसंतानता उत्पन्न होती है।
महिला निःसंतानता के प्रकार – वैदिक आयुर्वेदिक पद्धति के अनुसार महिलाओं में निःसंतानता को तीन भागों में बांटा गया है। बंध्य (Vandhya) – यह निःसंतानता की ऐसी अवस्था है जिसमे महिला पूर्ण रूप से निःसंतानता से ग्रसित होती है और जिसका इलाज संभव नही है। अपराज (Apraja) – इस प्रकार की निःसंतानता में महिला के गर्भवती होने की संभावना होती है और इलाज के द्वारा इसका निदान संभव है। सप्रजा (Sapraja)- इस शब्द का प्रयोग उन महिलाओं के लिए किया जाता है जो की एक बच्चे के जन्म के उपरांत निःसंतानता से ग्रस्त हो जाती हैं। महिला निःसंतानता की जाँच – यदि एक महिला एक वर्ष से अधिक समय के बाद असुरक्षित सेक्स करने के बावजूद गर्भधारण करने में सक्षम नहीं है, तो उसे निःसंतानता का कारण जानने के लिए जाँच अवश्य करनी चाहिए। फर्टिलिटी टेस्ट आपको कारण की पहचान करने और समय पर ठीक से इलाज करने में मदद करता है ताकि आप अपने माँ बनने के सपने को सच कर इसकें साथ ही असुरक्षित यौन संबंध के एक वर्ष के बाद, जो महिलाएं गर्भवती नहीं हो पाती हैं, आवर्ती गर्भपात, 35 से अधिक दिनों के चक्र के साथ अनियमित एवं भारी मासिक धर्म, एंडोमेट्रियोसिस, फैलोपियन ट्यूब में परेशानी वाली स्त्रियों को तो निश्चित रूप से परिक्षण करवाना चाहिए।
महिला निःसंतानता की जाँचे –
1 एक संपूर्ण चिकित्सा मूल्यांकन
2 अल्ट्रासाउंड- यह गर्भाशय और डिम्बग्रंथि अल्सर के आकार जैसी समस्याओं के निदान में सहायक है।
3 हार्मोन रक्त परीक्षण- इसका उपयोग फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन, मुलेरियन हार्मोन और एस्ट्राडियोल के मूल्यांकन के लिए किया जाता है।
4 ओवेरियन रिज़र्व टेस्ट- इसका उपयोग अंडाशय में अंडे की संभावित संख्या का आकलन करने के लिए किया जाता है।
5 लैप्रोस्कोपी- यह एंडोमेट्रियोसिस को evaluates करता है
6 सोनोहिस्टेरोग्राम- गर्भाशय के घावों और अनियमित वृद्धि का निदान करता है।
7 हिस्टेरोसाल्पिंगोग्राम- यह एक महिला के फैलोपियन ट्यूब और गर्भाशय का एक्स-रे है। यह फैलोपियन ट्यूब में रुकावट का पता लगाने में सहायक है और गर्भाशय के असामान्य आकार का भी पता लगाता है।
8 हिस्टेरोस्कोपी- इसका उपयोग गर्भाशय में पॉलिप्स और फाइब्रॉएड को देखने के लिए किया जाता है।
घर पर महिला निःसंतानता की जाँच इस तथ्य को महसूस करने के अलावा कि एक वर्ष या उससे अधिक समय तक असुरक्षित संभोग के बाद गर्भ धारण करने में सक्षम नहीं है, संभव नहीहै। इसलिए जरूरी हो जाता है कि इसके उपचार एवं निदान हेतु डॉक्टर की परामर्श अवश्य लें। महिलाओं की निःसंतानता की जाँज की cost अलग-अलग महिला फर्टिलिटी सेंटरों में भिन्न-भिन्न हो सकती है। महिला निःसंतानता की औषत जाँच की कीमत लगभग 4000 से 6000 के बीज होती है। महिलाओं को निःसंतानता के निदान और उपचार के लिए महिला निःसंतानता विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेनी चाहिए। महिला निःसंतानता हेतु उपचार महिला निःसंतानता उपचार के लिए आयुर्वेदिक दृष्टिकोण शरीर की आत्म चिकित्सा और संतुलन तंत्र को मजबूत करने पर आधारित है। आयुर्वेद के अनुसार खराब पाचन तंत्र के परिणामस्वरूप अमा (टॉक्सिन्स) का संचय होता है जो सभी बीमारियों को जन्म देता है। इसलिए इसका उपचार आवश्यक है, इसमें पाचक जड़ी-बूटियों और मसालों का उपयोग, उचित भोजन के समय का पालन करना और ठंडे भोजन और वातहर पेय से परहेज आदि शामिल है।
निःसंतानता हेतु पंचकर्म पद्धति – आयुर्वेद के अंतर्गत पंचकर्म आंतरिक सफाई की प्रक्रिया है और महिला निःसंतानता के प्राकृतिक उपचार में से एक है। शिरोधारा, अभ्यंग, नास्य कर्म, बस्ती कर्म, मर्म चिकित्सा जैसे उपचार शरीर से अशुद्धियों को निकलने में मदद करते हैं। यह महिलाओं में प्रजनन क्षमता बढ़ाने का सबसे अच्छा प्राकृतिक तरीका है। महिला निःसंतानता के लिए आयुर्वेदिक उपचार के रूप में शरीर के ऊतकों को पोषण देने का काम करतें है, मन को पुनर्जीवित और प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत करतें हैं। पंचकर्म पद्धति आयुर्वेदिक डॉक्टरों द्वारा महिलाओं में निःसंतानता को दूर करने के लिए एक प्राकृतिक रुप में निर्धारित की गयी पद्धति है। जिसमे साधन चिकित्सा के माध्यम से ओवुलेट्री चक्र को नियमित किया जाता है। बस्ती कर्म कर द्वारा अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब, पैल्विक आसंजनों और प्रजनन अंगों में आयी सूजन का पता लगाया जाता है। मसाज थेरेपी या मालिश चिकित्सा गतिहीन जीवन शैली के परिणामस्वरूप स्थिर लसीका (lymph) प्रवाह होता है।
इसलिए मालिश लिम्फ प्रवाह को उत्तेजित करने का काम करती है। अवरुद्ध फैलोपियन ट्यूब को साफ करके गर्भाधान की संभावना को बढाती है। यह साबित हो गया है कि निःसंतानता उत्पन्न करने वाले आंतरिक अंगों से मेल खाते हाथ और पैरों के विभिन्न क्षेत्रों की मालिश करने से इसके इलाज में मदद मिलती है। निःसंतानता हेतु आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों का प्रयोग जड़ी बूटियों का एक संयोजन महिला निःसंतानता के प्राकृतिक उपचार हेतु उपयोग किया जाता है। यह मासिक धर्म चक्र को विनियमित करने में मदद करता है और हार्मोन को संतुलित करता है। औषधीय घी और तेल जैसे सत्पुष्पा पूँछ, नारायण तेला, कल्याण घृत, ददिमादि घृत का उपयोग आमतौर पर किया जाता है। महिलाओं में निःसंतानता के लिए आयुर्वेदिक दवाओं में से कुछ इस प्रकार से हैं- चंद्रप्रभा वटी, योगराज गुग्गुलु, अशोकारिष्ट, कनचनर गुग्गुलु, किशोर गुग्गुलु, त्रिफला गुग्गुलु, शतावरी, जीवनवती, दशमूल, गुडुची, पुर्नवा, गोकक्षुरा आदि। अनूकूल और प्रतिकूल खाद्य पदार्थ निःसंतानता के इलाज और रोकथाम में आहार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उड़द की दाल के सेवन ‘शुक्राणु’ की संख्या में वृद्धि करता है साथ ही उनकी कैपेसिटी भी बढ़ता है । गुड़ और काले तिल के बीज हार्मोन को संतुलित करते हैं। आहार में ट्रांस वसा शामिल नहीं होना चाहिए क्योंकि वे चैनलों को अवरुद्ध करते हैं और प्रजनन क्षमता में अवरोधक सिद्ध होतें हैं इसके अलावा पालक, बीन्स, बीट, टमाटर जैसे खाद्य पदार्थ महिलाओं में प्रजनन क्षमता को बढ़ाने का काम करतें हैं। Preservatives (डिब्बों में बंद खाद्य पदार्थ) और रसायनों वाले खाद्य पदार्थों का जितना हो सके परहेज आवश्यक है अधिक शराब और कैफीन, तंबाकू, सोडा, धूम्रपान, रेड मीट, refined कार्बोहाइड्रेट Reproduction क्षमता को प्रभावित करते हैं। अपने आहार में भोजन की एक विस्तृत श्रृंखला को शामिल करना महत्वपूर्ण माना गया है। नियमित और संतुलित भोजन करने को बढ़ावा दिया गया है।
परंतु आयुर्वेदिक डॉक्टरो के अनुसार अपने भोजन में रोज नए फलों और सब्जियों को शामिल करने की सलाह दी जाती है न की एक ही प्रकार के भोजन से चिपके रहने की। निःसंतानता के उपचार हेतु काउंसलिंग, डिटॉक्सिफिकेशन थेरेपी ‘पंचकर्म’ इत्यादि को सम्मिलित किया गया है। पंचकर्म के माध्यम से गर्भाशय और अंडाशय के कार्य को बढ़ाना, आयुर्वेद और चिकित्सा के माध्यम से गर्भ संस्कार और उससे पूर्व की देखभाल , इसके अतिरिक्त चिकित्सा और हर्बल दवाएं जो की निषेचन की प्रक्रिया को बढ़ावा देती है। इन सभी के सफल कार्यान्वयन हेतु पोषक पदार्थो का सेवन और आहार चार्ट भी महत्वपूर्ण है। महिला के लिए कई उपचार उपलब्ध हैं लेकिन साइड इफेक्ट्स और उच्च लागत के कारण, वर्तमान समय में आयुर्वेदिक पद्धति को मुख्य रूप से अपनाया जा रहा है। आयुर्वेदा के द्वारा महिलाओं की निःसंतानता का इलाज आज के युग में एक बहुत ही अच्छे विकल्प के रुप में उभर कर सामने आ रहें ..