जानिए क्या है IVF और इससे जुड़ी जरुरी बातें..
वर्तमान समय की जीवनशैली से जुड़ी व्यस्तता ने जिन परेसानियों को जन्म दिया है निःसंतानता भी उन्हीं में से एक है । निःसंतान दम्पतियों की संख्या छोटे-छोटे गांवों से लेकर महानगरों तक बहुत ही तेजी के साथ बढ़ रही है।
Stressful life ( तनावपूर्ण जिन्दगी) कैरियर की भागदौड़ के बीच तथा देर से शादी होना और उसके बाद एक लम्बे समय के बाद फैमली प्लानिंग करना आगे चलकर महिलाओं से लेकर पुरुषों तक में निःसंतानता एक बहुत बड़ा कारण बनता जा रहा है, जिसके कारण लोगों निराश हो रहें है परंत अब इन सारी समस्याएं उपचार पूरी तरह से संभव है।
क्या है आइवीएफ –
आज हम इस लेख के माध्यम से जानेगे कि आइवीएफ क्या होता है और पहला आइवीएफ कब और कहां पर हुआ तथा आइवीएफ के उपचार की सफलता दर क्या है, आइवीएफ के उपचार में कितना खर्च लग सकता है और आइवीएफ के होने वाले लाभ एवं उससे होने वाले साइड इफैक्ट की पूरी विस्तार से जानकारी इस ब्लॉग के माध्यम से आपको आसानी से मिल जायेगी।
अब आइवीएफ के इतिहास की बात की जाये तो सबसे पहला आइवीएफ 1978 में Louise Brown ने किया तथा यह UK में हुआ था। आइवीएफ से यह पहला बच्चा UK में ही पैदा हुआ था । दुसरा आइवीएफ हमारे देश में ( भारत) में ही हुआ था जो कि डॉ सुभाष मुखोपध्याय ने किया था । यह जो दूसरा आइवीएफ था वह पहले आइवीएफ के 8 साल बाद हुआ था जिसका जन्म भारत में ही हुआ था।
आइवीएफ अर्थात इन विट्रो फर्टिलाइजेशन, संतानहीनता से परेशान रहे महिला एवं पुरुषों के लिए कारगर इलाज है। इसके तहत स्त्री के शरीर से एग्स निकालकर प्रयोगशाला में उनका मेल पति के स्पर्म्स से कराया जाता है। यह इसकी पूरी प्रक्रिया होती है जो कि Egg & Sperm के बीच होती है। इसके बाद कुछ दवाएं एवं इजेक्सन दीये जाते है जो की डॉक्टर की सलाह से अनुसार होते है। इसके बाद 14 दिनों बाद टेस्ट किया जाता है कि प्रग्नेंसी रुकी है या नही।
IVF की सफलता दर –
अब IVF की सफलता की बात करें तो इसमें उम्र की मुख्य भूमिका होती है जैसे कि यदि आप 30 वर्ष से कम उम्र में करवा रहें है तो इसकी सफलता दर 30 प्रतिशत होती है ऐसा सर्व में हुए आकड़ो के द्वारा ज्ञात होता है और यदि आप 30 से 35 के बीज IVF करवा रही है तो इसकी सफलता दर कुछ कम हो जाती है अर्थात 25 प्रतिशत ही रह जाती है। यदि आप इसे 40 वर्ष की आयु में करवा रहें है तो इसकी सफलता दर और भी कम हो जाती है। हाल ही में हुए एक सर्व ने खुलासा किया है कि जिन महिलाओं ने 40 की उम्र में IVF की तकनीकी का सहारा लिया है उनकी बर्थ रेट मात्र 17 प्रतिशत या फिर इससे भी कम पाई गई है।
वर्तमान समय में हमारे देश में भी काफी IVF केन्द्र खुल गये है और यह अत्यधिक सफलता दर की गारंटी भी देते है क्योंकि ऐसा इसलिए भी है क्योंकि देश के केवल 20 प्रतिशत IVF केन्द्र ही रजिस्टर्ड है और जो IVF का डाटा तैयार किया जाता है उसका प्रोसिजर भी बहुत अच्छा नही है। क्योंकि कोई भी लिखित में यह नही कह सकते है कि IVF की सफलता दर बहुत अधिक है।
IVF के इलाज के दौरान लगने वाले इंजक्सनों के साइड इफैक्ट –
IVF के उपचार के दौरान महिलाओं को जो इंजेक्सन दीये जाते है उनके काफी साइड इफैक्ट देखने को मिलते है। माईनर साइड इफैक्ट की बात करें तो बहुत ज्यादा प्रेशर, सर दर्द की समस्या, मानसिक तनाव यह सब IVF के इलाज के इंजेक्सन के कारण ही होता है।
कुछ ऐसे भी केश होते है जिसमें ovarian hyperstimulation occur अर्थात जो
12 से 15 दिन इंजेक्सन दीये जाते है उनकी वजह से egg सामान्य से कहीं ज्यादा बढ़ जाते है जिससे retrieve करते समय pelvin area में अधिक पानी भर जाने के कारण जिससे बहुत बड़ी परेशानी हो सकती है और ऐसे केश में ICU की भी जरुरत पड़ सकती है।
इन सबके के भी अलावा कुछ ऐसे अन्य साइड इफैक्ट है जिनमे वजन बढ़ने लगता है, pelvic pain, swelling जो कि abdominal में काफी समय तक रहती है। dizziness, shortnesa of breath, nausea or vomiting तथा pregnancy & birth complication भी IVF में काफी ज्यादा रहते है।
निष्कर्षतः IVF में जब सफलता दर कम मिलती है तो और ज्यादा सफलता की गारंटी दी जाती है तो ऐसे में बहुत ज्यादा डिप्रेशन में भी लोग चले जाते है। इसलिए आज जब भी IVF के लिए जाये तो इसकी actually success rate & complication को ध्यान में हमेशा रखें।
अब आगे चर्चा करते है IVF के recommendation के बारें में –
IVF की मुख्यताः तीन recommendation है, जिसमें से पहली है fallopian tube blockage, दूसरी है hydrosalpnix, endometriosis तथा अंतिम है ovulatory dysfunction यह अधिकांशताः PCOD/PCOS couples में देखा जाता है या फिर 30 से 40 वर्ष के बीच के लोगों में बहुत अधिक देखने को मिलता है।
हमें यह जानकारी देते हुए बहुत ही ज्यादा खुशी हो रही है कि ये जो तीनों recommendation है वह आयुर्वेदा में पूरी तरह से ठीक होती है। 90 प्रतिशत केशों में यह सभी परेशानियाँ जड़ से समाप्त हो जाती है और पेसेंट नेचुरली तरीके से गर्भधारण करते है।
इसके अलावा जो बहुत बड़ा फैक्टर वर्तमान समय में चल रहा है वह है unknown infertility । यदि आप दो से तीन IUI करवा लेते है तो या फिर 3 से 6 महीने नेचुरल प्लान करने की कोशिश करते है और फिर भी conceive नही होता तो अक्सर ऐसा बोला जाता है कि कम उम्र में IVF करवा लीजिए तो सफलता दर बढ़ जायेगी लेकिन हम आपको बताना चाहेगे कि ऐसा बिल्कुल भी न करायें क्योंकि IVF Last option हो सकता है परंतु IVF best option कभी भी नही हो सकता है इसलिए हमेशा इसके complication को ध्यान में रखकर और IVF में जाने से पहले आयुर्वेदा को अपनाएं क्योंकि आयुर्वेदा हमारी प्राचीनतम पद्धति है जो कि हजारो वर्षों से अपने सफल इलाज पर सैद्धातिक तरीके से प्रमाणित है। IVF के केशों में जब हम आयुर्वेदा की पद्धति को लाते है तो उनमें हम 90 प्रतिशत से भी अधिक सफलता प्राप्त करते है।