थायराइड में होना चाहती हैं प्रेगनेंट, तो ये आयुर्वेदिक उपचार कर सकते है आपकी मदद
आज हम बहुत ही महत्वपूर्ण विषय पर चर्चा कर रहें, जिसके लिए हर औरत के मन में जरुर सवाल होते है। यदि कोई औरत थायराइड से गुजर रही है तो उसके कुछ इस तरह के सवाल होते है । जैसे – कि अगर किसी महिला को थायराइड की परेशानी है, तो क्या वह प्रेगनेंट हो सकती है? यदि किसी को थायराड की समस्या है, तो प्रेगनेंट होने के लिए क्या करना चाहिए ? यदि कोई महिला थायराइड का सामना कर रही है। तो उसे किन-किन बातों का ध्यान रखना चाहिए? और प्रेगनेंसी के समय महिलाओं को कौन-कौन सी परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रेगनेंसी मेें थायराइड मुख्य रुप से कैसे समस्याएं देता है?
थायराइट में होने वाली समस्याएं मुख्य रुप से दो प्रकार की होती है । पहली है हाइपोथारयराइडिज्म और दूसरी है हाइपरथारयराइडिज्म। हाइपोथारयराइडिज्म शरीर में मोटापे का कारण बनता है । इस स्थित में शरीर में थायराइट नार्मल से कम होता है। हाइपरथारयराइडिज्म के कारण शरीर बहुत ज्यादा पतला हो जाता है। इसमें थायराइड हार्मोन की अधिकता हो जाती है। अर्थात जब महिलाओं के शरीर में नार्मल थायराइड हार्मोन की जगह अधिक हो जाता है । तो ऐसे समस्याएं देखने को मिलती है।
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थायराइड से प्रेगनेंसी में कैसे होती है समस्या ?
थायराइड के कारण शरीर में बहुत सारी बीमारियां होने का डर बना रहता है। इसलिए यह प्रेगनेंसी में बाधा बन सकती है। क्योंकि प्रेगनेंसी महिला का शरीर स्वस्थ होना बहुत जरुरी है और यदि ऐसे में किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या है । तो यह प्रेगनेंसी को प्रभावित करता है। थायराइड एक प्रकार की ग्रंथी होती है। जिसका कार्य थायराइड का निर्माण करना होता है। थायराइड ऊर्जा नियंत्रण का कार्य भी सुचारु रुप से करती है।
जब किसी महिला के शरीर में थायराइड हार्मोन के स्तर में कमी (hypothyroidism) होती है । तो महिला का मासिक धर्म चक्र और ओव्युलेशन बुरी तरह से प्रभावित हो जाता है। जो गर्भधारण में एक बहतु बड़ी बाधा बनता है। थायराइड हार्मोन की कमी से प्रोलेक्टिन हार्मोन के लेवल में वृद्धि होती है। प्रोलेक्टिन हार्मोन की अधिककता के कारण एग फर्टिलाइज नही होता है। इससे भ्रूण बनने की प्रक्रिया बाधित हो जाती है। यदि थायराइड का इलाज समय पर नही किया गया । तो गर्भाधरण करना मुश्किल हो जाता है। समय पर पीरियड्स नही होते है और पीरियड्स में दर्द होता है । पीरियड्स के दौरान पेट में अधिक ऐंठन होती है। कुछ केशों में तो महिलाओं के शरीर में रक्त की कमी हो जाती है।
थायराइड में प्रेगनेंसी कैसे संभव होगी ?
यदि कोई महिला थायराइड की समस्या से गुजर रही है। तो उसे सबसे पहले अपनी डाइट और लाइफस्टाइल में ध्यान देना चाहिए। इसके साथ ही थायराइड फंक्शन टेस्ट भी करवा सकती है। क्योंकि इस टेस्ट की मदद से गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की संपूर्ण जानकारी प्राप्त हो जायेगी। जिन महिलाओं को थायराइड की बीमारी है, और उनको कंसीव नही हो पा रहा है। तो उन्हें सबसे पहले थायराइड का उपचार लेना चाहिए। आयुर्वेद में थायराइड को जड़ से खत्म किया जाता है। इसलिए आयुर्वेद थायराइड के सर्व श्रेष्ठ उपचारों में से एक है। आयुर्वेदिक उपचार की मदद से थायराइड हार्मोन को नियंत्रित करने में मदद मिलती है। पंचकर्म एवं आयुर्वेदिक ओषधियों की सहायता से हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) को हमेशा के लिए समाप्त कर दिया जाता है।
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आयुर्वेदिक औषधियां थायराइड हार्मोन की कमी एवं अधिकता दोनो को नियंत्रित कर सामान्य स्तर पर उस नियंत्रित किया जाता है। जिससे प्रेगनेंसी में किसी भी प्रकार की कोई समस्या न हो।