ओवेरियन कैंसर क्या है और यह कैसे महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित करता हैं ?
ओवेरियन कैंसर पूरे विश्व में महिलाओं में कैंसर से संबंधित मौत का पांचवां सबसे आम कारण है। अमेरिकन कैंसर सोसाइटी के अनुसार, पिछले 2 दशकों में ओवेरियन कैंसर महिलाओं की फर्टिलिटी पॉवर को भी बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। एसीएस का अनुमान है कि वर्ष 2019 में लगभग 22,530 महिलाों को ओवेरियन के कैंसर का खुलासा हुआ था। इस स्थिति से करीब 13,980 महिलाओं के मरने की आशंका जाहिर की गई थी।
ओवेरियन कैंसर के लक्षण –
ओवेरियन कैंसर के कुछ शुरआती लक्षण है, जिसके आधार पर ओवेरियन कैंसर का पता लगाया जा सकता है।
- पेल्विक एरिया में दर्द या दबाव
- योनि से खून का स्त्राव
- पीठ या पेट में दर्द
- सूजन
- भोजन करते समय तेजी से भरा हुआ महसूस करना
- पेशाब के पैटर्न में बदलाव, जैसे कि बार-बार पेशाब आना
- आंत्र की आदतों में परिवर्तन, जैसे कब्ज एवं गैस जैसी परेशानी होना।
यदि इनमें से कोई भी लक्षण 2 सप्ताह या उससे अधिक समय तक रहता है, तो महिला को डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
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इन सभी लक्षणों के अतिरिक्त कुछ इस तरह से लक्षण भी हो सकते है।
- मतली और अपच
- भूख में कमी
- वजन घटना
- सांस फूलना
- थकान
यदि कैंसर शरीर के अन्य भागों में फैलता है तो लक्षण बदल सकते हैं।
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ओवेरियन कैंसर के कारण और जोखिम –
ओवेरियन कैंसर तब विकसित होता हैं जब महिलाओं के शरीर के इस पेल्विक एरिया में कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से विभाजित होने लगती हैं। ओवेरियन कैंसर क्यों होता है यह स्पष्ट नहीं है, लेकिन विशेषज्ञों ने कुछ जोखिम कारकों की पहचान की है। जो इस प्रकार है-
- उम्र – ओवेरियन कैंसर के लगभग 50% मामले 63 वर्ष की आयु के बाद होते हैं।
- प्रजनन हिस्ट्री – एक या एक से अधिक पूर्ण गर्भधारण होने से ओवेरियन कैंसर का खतरा कम होता है। एक महिला जितनी अधिक गर्भधारण करती है, जोखिम उतना ही कम होता है। स्तनपान भी जोखिम को कम कर सकता है। हालाँकि, जीवन में बाद में बच्चे होना (35 वर्ष की आयु के बाद) या कभी बच्चे न होना एक उच्च जोखिम से जुड़ा है। जो महिलाएं कुछ प्रकार के प्रजनन उपचार का उपयोग करते हैं, उनमें सीमा रेखा कोशिकाओं के विकसित होने की संभावना अधिक हो सकती है, लेकिन सभी अध्ययन इसकी पुष्टि नहीं करते हैं।
- स्तन कैंसर – स्तन कैंसर के इतिहास वाली महिालओं में ओवेरियन के कैंसर की संभावना अधिक होती है। यह बीआरसीए जीन में बदलाव के कारण हो सकता है। इस कारण से, स्तन कैंसर वाली कुछ महिलाओं में जो इस जीन उत्परिवर्तन के लिए सकारात्मक परीक्षण करती हैं।
- हार्मोन थेरेपी – जो महिलाएं रजोनिवृत्ति के बाद हार्मोन रिप्लेसमेंट थेरेपी (एचआरटी) कराती है। उमनें भी ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ जाता है। एक महिला जितना अधिक समय तक एचआरटी का उपयोग करती है, जोखिम उतना ही अधिक होता है। हालांकि, उपचार बंद होने के बाद जोखिम कम होता दिखाई देता है।
- मोटापा – 30 से अधिक बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) वाली महिलाओं में ओवेरियन कैंसर अधिक आम है।
ओवेरियन कैंसर कैसे महिलाओं की फर्टिलिटी को प्रभावित करता है ?
जब किसी महिला के यूट्रस में कैंसर हो जाता है, उसे ओवेरियन कैंसर कहते है। ओवेरियन कैंसर में महिलाओं की ओवरी में बहुत छोटे-छोटे सिस्ट बनने लगते है। जिससे यूट्रस की ट्यूब धीरे-धीरे प्रभावित होने लगती है। ऐसे में महिलाओं को निःसंतानता (इनफर्टिलिटी) जैसी गंभीर समस्याओं का सामना करना पड़त है।
महिलाएं कैसे ओवेरियन कैंसर की रोकथाम करके खुद का बचाव कर सकती है ?
- ओवेरियन कैंसर से बचने के लिए blood calcium rate का नियमित रुप से टेस्ट करवाते रहना चाहिए। ऐसे में यदि जांच के दौरान blood calcium rate High पाया जाता हैं। तो यह आप में ओवेरियन कैंसर का खतरा बढ़ा सकता है। इस दर को सामान्य करने के लिए कुछ आयुर्वेदिक दवाओं का सेवन करने की सलाह आयुर्वेदिक डॉक्टर देते है। जिसमें किसी प्रकार का कोई दुष्प्रभाव नही होता है और रिकवर होने के चांस बहुत ज्यादा होते है।
- जिन महिलाओं के मेडिकल हिस्ट्री में किसी परिवार की महिला को ओविरयन कैंसर रहा है। तो उनमें यह होने की संभावना होती है। ऐसे में महिलाओं को टेस्ट करवाते रहना चाहिए। ताकि जल्दी से पता चलने पर समस्या का निवारण अतिशीघ्र हो सके।
- यदि आपके परिवार में किसी को कॉलन कैंसर या प्रोस्टेट कैंसर हो चुका है। तो आप भी इसका शिकार हो सकती है। इसलिए समय-समय पर जांच करवाते रहना चाहिए।
- अपने वजन में नियंत्रण रखना चाहिए। क्योंकि बहुत कम वजन एवं बहुत ज्यादा वजन हर किसी बीमारी की वजह बन सकता है।
- धूम्रपान एवं तंबाकू इत्यादि नशीले पदार्थों के सेवन से बचना चाहिए।
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