conceive with ovarian cyst

  क्या रसौली होने पर भी आप माँ बन सकती हैं – डॉ चंचल शर्मा 

वर्तमान में करीब 40 प्रतिशत ऐसी महिलाएं हैं। जो रसौली (बच्चेदानी में गांठ) की समस्या से परेशान हैं। रसौली का सबसे बड़ा और मुख्य कारण है। आज की लाइफस्टाल और डाइट के साथ बीमारी के सही जानकारी न  होना। कुछ वर्षों पूर्व बच्चेदानी में गांठ (ट्यूमर) से अधिकांश समस्या 30 वर्ष से अधिक और 50 वर्ष की उम्र की महिलाओं में सबसे ज्यादा देखने को मिलती है। 

परंतु अब तो यह समस्या कम उम्र की महिलाओं में भी देखने को मिल रही है। गतिहीन एवं शारीरिक श्रम न करने करे चलते सबसे ज्यादा महिलाएं मोटापे का शिकार होती जा रही है। जिससे महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन का स्तर तेजी के साथ बढ़ जाता है। जो महिलाओं में रसौली का कारण बनता है। यदि आप आयुर्वेद के मत को मनाते हुए अपनी जीवनशैली एवं आहार-विहार पर ध्यान रखकर आयुर्वेदिक औषधियों एवं पंचकर्म पद्धति की मदद लेती हैं। तो आप नेचुरल तरीके से रसौली की समस्या से छुटकारा पाकर मातृत्व सुख को हासिल कर सकती हैं। 

रसौली के कारण क्यों होती है माँ बनने में दिक्कत ?

गर्भाशय में गांठ (बच्चेदानी में गांठ ) के कारण एग और स्मर्म फर्टिलाइज नही हो पाते है। जिसके कारण भ्रूण निर्माण की प्रक्रिया अधूरी रह जाती है। और  इनफर्टिलिटी की समस्या उत्पन्न होती है।  रसौली की समस्या अधिकांश महिलाओं को गर्भाशय या फिर उसके आसपास गांठ की समस्या पैदा हो जाती है। जिससे माँ बनने में परेशानी होती है। 

रसौली होने की शुरुआत एक बहुत ही छोटे आकार के दाने के रुप में होती है और बाद में वह एक बाल जितनी बड़ी हो सकती है। ये गांठे यूट्रस टीबी से लेकर ओवेरियन कैंसर तक की समस्या उत्पन्न कर सकती है। जिससे महिलाओं में इनफर्टिलिटी होती है और वह माँ बनने में असमर्थ हो जाती है। 

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क्या है रसौली होने के कारण ?

महिलाओं में रसौली होने के बहुत सारे कारण है। जिसकी वजह से महिलाओं की बच्चेदानी या गर्भाशय में गांठे बन जाती है। 

  1. जब महिलाओं में एस्ट्रोजन हार्मोन की मात्रा का अधिक उत्पादन होने लगता है। तो गर्भाशय में गांठ की शिकायत होने लगती है। 
  2. कुछ केशों में परिवारिक जन्मजात बीमारियां के चलते भी ऐसे मामले सामने आते है। क्योंकि यदि परिवार की महिला को रसौली जैसी समस्या थी । तो ऐसे उस परिवार की महिलाओं को इसकी समस्या  हो सकती है। अर्थात रसौली अनुवंशिक (जैनेटिक) हो सकती है। 
  3.  मोटापा के कारण भी रसौली हो सकती है। 
  4. गर्भावस्था के दौरान भी ऐसे समस्याएं देखने को मिलती है। 

क्या है रसौली होने के लक्षण?

अब यदि रसौली के लक्षणों की बात की जाए, तो महिलाओं को कुछ ऐसे संकेत महसूस होने लगते है जिससे रसौली होने की पुष्ठि हो सकती है। 

  1. मासिकधर्म के दौरान या फिर उसके पहले-बाद में अधिक मात्रा में रक्त स्त्राव हो सकता है। जिसमें रक्त के थक्के भी हो सकते है। 
  2. बार-बार पेशान की इच्छा होना । 
  3. मासिकधर्म के दौरान दर्द होना। 
  4. यौन क्रिया करते समय अत्यधिक दर्द महसूस होना। 
  5. पीरियड्स सामान्य दिनों से ज्यादा या कम होना। 
  6. प्राइवेट पार्ट से रक्त निकलना। 
  7. शरीर में कमजोरी का अनुभव होना। 
  8. योनि से खराब गंध आना। 
  9. एनीमिया एवं कब्ज की शिकायत होना। 
  10. पैरों में अधिक दर्द होना। 

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रसौली के आयुर्वेदिक उपचार – 

आयुर्वेद में रसौली के आयुर्वेदिक एवं घरेलू दोनो प्रकार के उपचार उपलब्ध है। जो रसौली से निजात दिलाने में महिलाओं की मदद करते है। आयुर्वेदिक रसायनों के माध्यम से रसौली की समस्या को जड़ से खत्म किया जा सकता है। 

आयुर्वेदिक क्वाथ के सेवन से रसौली की समस्या को आसानी से दूर किया जाता है। इसमें पाएं जाने वाले एपीगेलोकैटेचिन एवं अन्य आयुर्वेदिक घटक रसौली की कोशिकाओं को जड़ से खत्म कर देते है। और रसौली के लक्षणों को बढ़ने से रोकते है। 

  1. हल्दी – रसौली के उपचार में हल्दी एक आयुर्वेदिक जड़ी बूटी की तरह कार्य करती है। हल्दी के संबंध में आयुर्वेद में कहा गया है। कि हल्दी में एंटीबॉयोटिक गुणों से भरपूर होती है। जो शरीर में पैदा होने वाले जहरीले एवं विशैले पदार्थों को बाहर निकालने का कार्य करती है। 
  2. आंवला – प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी समस्या के लिए आंवला को सबसे अच्छा माना जाता है। आंवाला को आयुर्वेद में अमर फल की संज्ञा दी गई है। रसौली की समस्या में आंवला का सेवन बेहद कारगार शाबित होता है। 
  3. सिंहपर्णी – यह आयुर्वेदिक औषधि रसौली के उपचार में मददगार होती है। आयुर्वेद के चिकित्सक के अनुसार ही इसका सेवन करना चाहिए। इसका सेवन कम से कम 3 माह तक किया जाता है। 
  4. लहसुन – लहसुन हर किसी के घर में आसानी से मिल जाती है। हम सभी इसका उपयोग मसाले के रुप में करते है। लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट और एंटी-इंंफ्लेमेटरी गुण पाये जाते है। जो गर्भाशय में बनने वाली गांठों के विकास को रोकते है और रसौली बनने से रोकते है। 

यह खास जानकारी आशा आयुर्वेदा की विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से विशेष वार्ता के दौरान प्राप्त हुई है। 

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