Ayurvedic Treatment for LOW AMH in Hindi
भारत में इनफर्टिलिटी की समस्या इतनी तेजी से बढ़ रही है कि यह एक चिंता का विषय बन चुका है। इनफर्टिलिटी की समस्या के कई कारण हो सकते है। जिनमें से एक प्रमुख कारण है महिलाओं में अंडे न बनना या फिर बहुत ही कम बनना। जब महिलाओं के अंडाशय में अंडे नही बनते है तो उनके गर्भधारण की संभावना बिल्कुल कम हो जाती है। भारतीय महिलाएं शर्म एवं लज्जा के चलते इस विषय में बात करने से बहुत ज्यादा कतराई है इसलिए वह महिला स्वास्थ्य संबंधी विषयों में ठीक से चर्चा नही कर पाती है।
महिलाओं के अंडाशय में अंडे न बन पाना महिलाओं की प्रजनन क्षमता को बहुत ज्यादा प्रभावित करता है। अब सबसे पहले यह बात आती है कि कैसे पता करें कि महिलाओं में अंडे बन रहे है या नही – तो इसके लिए एएमएच (Anti Mullerian Hormone) की जाँच आवश्यक होती है।
लो एएमएच लेवल – एएमएच का नार्मल लेवल 2.20 से 6.80 ng/mL के बीच होता है। यदि इसका लेवल 1.5 ng/ml से कम होता है तो उसे लो एएमएच (Low AMH- Anti Mullerian Hormone) के नाम से जाना जाता है। अब बात तो पूरी तरह से स्पष्ट हो चुकी होगी कि यदि महिला का एएमएच लेवल कम है तो उसे गर्भधारण करने में परेशानी आ सकती है।
हर महिला में एक निश्चित संख्या में अंडो का निर्माण होता है और महिला की ओवरी में अंडो का निर्माण उम्र के साथ-साथ कम होता चला जाता है और उम्र ऐसी भी आ जाती है जब महिला का अंडाशय अंडे बनना पूरी तरह से बंद कर देता है। इसलिए आयुर्वेद कहता है कि महिला के गर्भधारण के लिए एक निश्चित उम्र भी होती है जिस समय गर्भधारण की सबसे अधिक संभावना होती है। क्योंकि उस उम्र में महिला के गर्भाशय में अंडो की संख्या पर्याप्त मात्रा में मौजूद होती है।
क्यों होता है लो एएमएच(Anti Mullerian Hormone) ?
आयुर्वेद के अनुसार जैसे-जैसे महिला की उम्र बढ़ती जाती है उसी प्रकार उसके अंडो में कमी अर्थात लो एएमएच होने लगता है परंतु वर्तमान में तो महिलाओं को बहुती ही कम आयु में एएमएच के स्तर में गिरावट आने लगी है। इसके पीछे की मुख्य वजह है कि आजकल का खानपान, दिनचर्या, टेंशन इत्यादि।
लो एएमएच का आयुर्वेदिक उपचार –
आयुर्वेदिक उपचार के द्वारा महिलाओं के अंडो की संख्या में वृद्धि दर्ज की जा सकती है तथा साथ ही इनकी गुणवत्ता में भी सुधार किया जा सकता है। आयुर्वेद के अनुसार अभ्यंग (मसाज) के द्वारा औषधि तैलो को प्रयोग किया जाता है जिससे गर्भाशय में रक्त का संचार तेजी से होता है। आशा आयुर्वेदा की फर्टिलिटी एक्सपर्ट के अनुसार आप हप्ते में चार दिन औषधि तैलो की मसाज करके अंडाशय के अंडा को आकार बड़ा कर सकती है और उनकी क्वालिटी में भी सुधार कर सकती है।
डॉ चंचल शर्मा कहती है तनाव के कारण भी अंडो में कमी का कारण होता है इसलिए महिलाओं को तनाव नही लेना चाहिए। तनाव के कारण हार्मोन का स्त्राव कम-ज्यादा होता है इससे हार्मोन का संतुलन बिगड़ जाता है। इसलिए दिनचर्या में स्ट्रेस बिल्कुल भी न ले।
अंडो की गुणवत्ता तथा संख्या बढ़ाने के लिए आपको फर्टिलिटी डाइट लेनी चाहिए, जिससे कि आपके अंडे डैमेज न हो और साथ ही अच्छी क्वालिटी के तैयार हो। अंडो को हैल्थी रखने के लिए आप तिल के बीज का भी सेवन कर सकती है। तिल के बीज egg health को boost करता है।
महिलाओं में अंडे बढ़ाने की आयुर्वेदिक दवाएं –
- अश्वगंधा और दूध
- सोंठ,कालीमिर्च,पिपली (चिकित्सक के अनुसार ही लें)
- कैस्टर ऑयल
- लहसुन