पीसीओडी क्या है और यह महिला प्रजनन क्षमता को कैसे प्रभावित करती है?

पॉलीसिस्टिक ओवेरियन डिजीज (पीसीओडी), जिसे पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (पीसीओएस) के रूप में भी जाना जाता है, एक बहुत ही सामान्य स्थिति है जो 12-45 वर्ष की आयु वर्ग की 10% से 13% महिलाओं को प्रभावित करती है।  यह एक ऐसी समस्या है जिसमें एक महिला के हार्मोन संतुलन से बाहर हो जाते हैं। इससे मासिक धर्म की समस्या हो जाती है और महिला लिए गर्भधारण करना मुश्किल हो जाता है। पीसीओडी के प्रमुख लक्षणों में ओव्यूलेशन नहीं होता है, अनियमित पीरियड्स, मुंहासे और पाचन तंत्र की समस्या जैसी कई स्वास्थ्य समस्याएं शामिल हैं। यदि इसका इलाज नहीं किया जाता है तो यह इंसुलिन (Insulin resistance) मधुमेह, मोटापा और उच्च कोलेस्ट्रॉल का कारण बन सकता है जिससे हृदय रोग हो सकता है। पीसीओडी एक बहुत बड़ी समस्या है जिसके कारण मेटाबॉलिक और प्रजनन से जुड़ी बहुत सारी परेशानियां होती है। संतान सुख की राह में पीसीओडी एक बहुत बड़ी बाधा के रुप में उभर कर सामने आ रही है। 

पीसीओडी की समस्या एक प्रकार का हार्मोल विकार है। जिसके कारण अंडाशय के बाहरी किनारों पर छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते है। अस्वास्थ्यकर जीवनशैली जैसे गलत खान-पान, शारीरिक गतिविधि में कमी, शरीर का बढ़ा हुआ वजन, पीसीओडी की प्रमुख वजह होती है। पीसीओडी एक ऐसा चिकित्सीय विकार है जिसकी वजह से अंडाशय समय से पूर्व ही अंडो को रिलीज कर देता है और फिर यही अंडे सिस्ट के रुप में परिवर्तित हो जाते है। ऐसा होने पर महिलाओं की माहवारी नकारात्मक रुप से प्रभावित हो जाती है।

ऐसी स्थिति में ओवरी के आकार में वृद्धि हो जाती है और महिलाओं का शरीर तेजी के साथ मेल हार्मोन(एंड्रोजन) स्त्रावित करने लगता है। ऐसी अवस्था में खराब खानपान एवं जीवनशैली महिलाओं के प्रजनन स्वास्थ्य पर बुरा प्रहार करती है। 

पीसीओडी के कारण (PCOD ke karan in Hindi) – 

आम तौर पर, महिला अंडाशय पुरुष सेक्स हार्मोन (एण्ड्रोजन) बनाते हैं। ये प्रत्येक मासिक धर्म के दौरान अंडाशय में अंडों के सामान्य विकास को नियंत्रित करने में मदद करते हैं। परंतु इसके अतिरिक्त भी कई कारण है जो पीसीओडी की समस्या के लिए जिम्मेदार माने जाते है। पूर्व के समय में केवल शादी देर से होने के बाद ही पीसीओडी जैसी समस्याओं का सामना करना पडता था परंतु आज के समय में तो टीनेज अर्थात 13 वर्ष से 19 वर्ष की लड़कियाों में भी पीसीओडी की समस्या अधिक देखने को मिल रही है। 

  1. पीसीओडी में एण्ड्रोजन अधिक बनने लगता है जिससे महिलाओं का ओवुलेशन रुक जाता है, मुहांसे हो जाते हैं और चेहरे और शरीर पर अतिरिक्त बाल उग आते हैं।
  2. अनुवांशिक समस्या अर्थात अगर परिवार में पहले किसी महिला को पीसीओडी की समस्या रही हो तो होने वाली फिमेल संतान को पीसीओडी की समस्या हो सकती है। 
  3. पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम की वजह से अंडे पूरी तरह से परिपक्व नही हो पाते है जिसकी वजह से वह अंडाशय से नही निकल पाते है और फिर ये सिस्ट में बदल जाते है।
  4. मोटापा 
  5. अनियमित पीरियड्स 
  6. खराब जीवनशैली एवं खानपान 
  7. धूम्रपान का सेवन 
  8. सर्जरी या फिर कोई यौन संक्रमण 
  9. बार-बार गर्भपात की समस्या 
  10.  हार्मोनल परिवर्तन इत्यादि पीसीओडी के प्रमुख कारण है।

पीसीओडी कैसे महिलाओं के स्वास्थ्य को प्रभावित करता है ?

पॉलीसिस्टिक ओवरी डिडीज महिलाओं में होने वाली एक सामान्य सी समस्या है। पीसीओडी की वजह से महिलाओं में हार्मोन परिवर्तन होने के कारण ओवरी में सिस्ट बन जाती है जिससे महिलाओं के स्वास्थ्य में एक बड़े पैमाने में हार्मोन परिवर्तन होना शुरु हो जाते है। ओवरी में बने सिस्ट माहवारी और प्रेगनेंसी में बहुत बड़ी बाधा बन कर उभरते है। जो महिलाओं के यौन स्वास्थ्य का बुरी तरह से प्रभावित करते है। 

पीसीओडी का आयुर्वेदिक इलाज (pcod ke ayurvedic ilaj in Hindi ) – 

आयुर्वेदिक इलाज पूरी तरह से नेचर पर आधारित होता है और इसमें किसी भी प्रकार के दुष्परिणाम देखने को नही मिलते है। आयुर्वेदिक उपचार बीमारी की गंभीरता को देखते हुए उपचार की रणनीति तैयार की जाती है। आयुर्वेद व्यक्ति की प्रकृति के अनुसार ही उपाचर चिकित्सा लागू करता है और एक व्यापक उपचार योजना का निर्माण करके उसे क्रियान्वयन में लाता है। 

पीसीओडी के उपचार में गांधारी और वरुणा जैसी अमूल्य आयुर्वेदिक औषधियों का प्रयोग किया जाता है। यह दोनों हर्बल औषधियां सिस्ट को समाप्त करते ओव्यूलेशन को ठीक करने में मदद करती है। इसके अतिरिक्त पीसीओडी के उपचार में कचनार गुग्गुल , चंद्रप्रभावटी, रजप्रवर्तनी वटी आदि का प्रयोग पीसीओडी को ठीक करने में किया जाता है। यह बहुत ही प्रभावी और कारगर औषधि है। 

नोट – आयुर्वेदिक उपाचर के साथ-साथ अपने वजन पर नियंत्रण रखने की कोशिश करें और पौष्टिक आहार लें । नियमित रुप से व्यायाम करें और योग को भी अपनी दिनचर्या का हिस्सा जरुर बनायें । 

दी गई जानकारी को अपनाने से पहले किसी अच्छे आयुर्वेदिक चिकित्सक से परामर्श जरुर करें ताकि आपको समय से लाभ प्राप्त हो सके।

drchanchalsharma whatsapp