प्रेगनेंसी में लाइफ स्टाइल और डाइट का रखती है ध्यान तो माँ एवं शिशु दोनों होेंगे सेहतमंद
प्रेगनेंसी के दौरान गर्भवती महिला को अपनी डाइट और लाइफ स्टाइल का ध्यान रखना बहुत ही जरुरी होताा है। इस बारे में आयुर्वेद में कहा गया है, कि जैसी माँ का रहन-सहन और खानपान (Lifestyle & diet) होगा ठीक उसी प्रकार गर्भस्थ शिशु का स्वास्थ्य होगा। जब गर्भवती महिला अपनी डाइट में पोषक तत्वों (nutrients) से भरपूर खाद्य पदार्थों को शामिल करते है। तो स्वाभाविक (naturally) ही शिशु की सेहत (baby’s health) अच्छी होगी और गर्भावस्था में महिला को स्वस्थ रहने में बहुत ज्यादा मदद मिलेगी।
आयुर्वेद में इस बात पर जोर देते हुए कहां गया है । कि गर्भवस्था के दौरान महिला को सामान्य महिला की अपेक्षा अधिक भोजन करना चाहिए। क्योकि गर्भ में पल रहे शिशु के भोजन की अपूर्ति (food supply) माँ के शरीर के द्वारा होती है। गर्भवती महिला को इस बात का स्मरण रहना चाहिए कि वह एक नही बल्कि दो लोगों को जीवन जीती है। इसलिए गर्भवती महिला को प्रतिदिन 2000 से 2100 कैलोरी लेना चाहिए । इसमें भोज्य पदार्थ और पेय (food & liquid ) दोनों को शामिल किया गया है।
गर्भवती महिला को पोषण (Nutrition) लेने में कोई भी गड़बडी नही करना चाहिए । क्योंकि यदि ऐसा महिला करती है। तो उसके होने वाले बच्चे के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ता है । ऐसे में बच्चा कुपोषण (denutrition) और अन्य बीमारियों का शिकार भी हो सकता है। हैल्दी डाइट (healthy diet) के साथ साथ अच्छी दिन चर्या (Good routine) का भी नियम पूर्वक पालन करना चाहिए।
हल्के फूल्के व्यायाम और शारीरिक सक्रियता (Light exercise and physical activity) से महिला का स्वास्थ्य अच्छा होता है । योग एवं प्राणायाम (Yoga and Pranayama) से पेट में कब्ज और गैस (constipation and gas) की समस्या नही होती है। गर्भवती होने पर महिलाओं के लिए स्वस्थ भोजन (healthy meal) का चुनाव (selection) करना महत्वपूर्ण है। उनका आहार भ्रूण (embryo) की वृद्धि और विकास के लिए आवश्यक पोषक तत्व (Nutrients) प्रदान करेगा।
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अब जानते है कि प्रगेनेंसी में क्या खाना चाहिए ? – do you know what to eat during pregnancy –
सभी गर्भवती महिलाओं को गर्भवस्था में विभिन्न प्रकार की सब्जियां, फल, साबुत अनाज, वसा रहित या कम वसा वाले डेयरी उत्पाद और प्रोटीन खाद्य पदार्थ जरुर खान चाहिए।
- फोलिक एसिड (folic acid) – गर्भवती होने से पहले और 12 सप्ताह की गर्भवती होने तक हर दिन 400 माइक्रोग्राम फोलिक एसिड किसी भी रुप में लेना महत्वपूर्ण है। Folic acid स्पाइना बिफिडा (spina bifida) जैसे न्यूरल ट्यूब दोष जैसे जन्म दोषों को रोकने में मदद कर सकता है। सोयाबीन, आलू, गेंहू, चुकंदर, केला और ब्रोकली (Soybean, Potato, Wheat, Beet, Banana and Broccoli) में पर्याप्त मात्रा में फोलिक एसिड होता है । जिसे आप प्रेगनेंसी (pregnancy) में खा सकती है।
- विटामिन्स (Vitamins) – प्रेगनेंसी में विटामिन और खनिजों (vitamins and minerals) की आवश्यकता है। गर्भावस्था के दौरान आयरन, कैल्शियम, विटामिन डी, ओमेगा -3 फैटी एसिड, बी विटामिन और विटामिन सी (Iron, calcium, vitamin D, omega-3 fatty acids, B vitamins and vitamin C) जरुर लेना चाहिए। होती है।
- साबूत अनाज (whole grains) – साबुत अनाज जैसे मोटे अनाज की रोटी और ब्राउन राइस खाने में लेना चाहिए। इनमें सबसे अधिक विटामिन और पोषक तत्व होते हैं। साबुत अनाज में भी भरपूर मात्रा में फाइबर (fiber) होता है। गर्भावस्था के दौरान फाइबर 28 ग्राम प्रतिदिन लेना आवश्यक है, जो कब्ज और बवासीर को रोकने में मदद करती है।
- कम वसा वाले डेयरी प्रोडक्ट (low fat dairy products) – वसा रहित या कम वसा वाला दूध गर्भवती महिलाओं के लिए कम वसा या पूरे दूध की तुलना में स्वास्थ्यप्रद विकल्प (healthiest option) होता है। जिसमें संतृप्त वसा (Saturated fat) की उच्च मात्रा होती है। यदि आप गर्भावस्था के दौरान पर्याप्त मात्रा में कैल्सियम (calcium) से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करती हैं, तो आप इस खनिज के लिए अपने बच्चे की जरूरतों को पूरा करने के लिए अपनी हड्डियों (bones) से कैल्शियम खो देंगी।
- हरी सब्जियाँ (green vegetables) – पालक, और अन्य हरी सब्जियां (Spinach, and other green vegetables), पत्तेदार साग विटामिन और खनिजों से भरे होती हैं । जिनकी गर्भवती माताओं और उनके बच्चों को आवश्यकता होती है। इनमें विटामिन ए, सी, के, और ई के साथ-साथ कैल्शियम, आयरन, फाइबर और फोलेट (Vitamins A, C, K, and E as well as calcium, iron, fiber, and folate) भी होते हैं।
प्रगेनेंसी में क्या नही खाना चाहिए – What should not be eaten during pregnancy?
प्रेगनेंंसी के समय कुछ ऐसे फूड्स (Foods) है जिनका सेनव नही करना चाहिए ।
- जैसे कम चीनी, संतृप्त वसा और सोडियम (नमक) वाले खाद्य पदार्थ और पेय चुनें।
- परिष्कृत अनाज और स्टार्च को सीमित करें,
- सफेद ब्रेड और कुछ स्नैक फूड (white bread and some snack foods) जैसे खाद्य पदार्थों में हैं।
- अधिक मिर्च मसाला, तला भूना (more chili masala, fried) नही खाना चाहिए । तथा मैदे (Fine flour) से बने खाद्य पदार्थों के सेवन करने से बचना चाहिए।
गर्भवती महिलाओं की लाइफस्टाइल कैसी होनी चाहिए – What should be the lifestyle of pregnant women?
प्रेगनेंसी के दौरान हर महिला को अपनी लाइफ स्टाइल (Life Style) का बहुत ही ख्याल रखना चाहिए। क्योंकि यह आपके लिए और आपके गर्भ में पल रहें शिशु दोनों के लिए बहुत की आवश्यक होता है।
गर्भावस्था में दिनचर्या और ऋतु चर्या (season cycle) का बहुत ही ज्यादा ध्यान रखना चाहिए । यह बात आयुर्वेद में भी कही गई है। हर गर्भवती स्त्री को ऋतु विशेष आहार-विहार (seasonal diet) का पालन करना चाहिए । क्योंकि कुछ ऋतुएं ऐसी भी होती है जिसमें कुछ खाद्य पदार्थों वर्जित होते है। और य़दि आप ऋतु विरुद्ध आहार (anti-season diet) करती है । तो आपके स्वास्थ्य और आपके शिशु पर के स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है।
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गर्भवती महिला को दिनचर्या से संबंधित इन विशेष बातों का ध्यान रखना चाहिए –
- गर्भवती महिलाओं को इस बात का पूरा ध्यान होना चाहिए कि उनके शरीर से ही गर्भस्थ शिशु का पोषण होता है अर्थात पेट में पल रहे बच्चे का आहार आपके शरीर से होता है इसलिए कभी भी खुद का भुखा न रखें।
- सुबह जल्दी उठने (wake up early) की कोशिश करें या योग करें और टहलने के बाद तुरंत बाद नाश्ता (Breakfast) करें।
- एक जगह बैठकर या फिर एक जगह पर खडे होकर लगातार काम न करें । बीच-बीच में ठहलते रहें । ऐसा करने से आपकी मांसपेशियों में लचीलापन (muscle flexibility) आता है।
- रात्रि को भोजन (dinner) करने की जगह जल्दी भोजन करने का प्रयास करें । क्योंकि रात में खाने से बॉडी दिन के आपेक्षा अधिक एक्टिव नही होती है और ऐसे में भोजन ठीक से पच (digest) नही पाता है । जो पेट से संबंधित परेशानियां (stomach problems) दे सकता है। इससे गैस और कब्ज (gas and constipation) बन सकती है।
- धूम्रपान (smoking) से बिल्कुल दूर रहें। क्योकि यह आपके बच्चे और आपके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही हानिकारक होता है। नशीले पदार्थों (drugs) के सेवन से बचकर रहें क्योंकि इससे आने वाली संतान में किसी भी प्रकार की विकृति (distortion) हो सकती है।
- डॉक्टर से सलाह लेने के बाद ही यात्रा करें और अगर ज्यादा जरुरी न हो यात्रा को टाल दें।
- प्रतिदिन अच्छी किताबे पढ़ें जैसे रामायण, गीता और अच्छा संगीत सुनें।
- अपने धर्मानुसार अपनी संस्कृति (Culture) से जुड़े रीति रिवाजों (customs) का पूरा पालन करें।
- प्रेगनेंसी के दौरान न तो किसी भी बुराई करें और न ही किसी की बुराई करें। वैसे भी किसी की बुराई नही करनी चाहिए।
- प्रेगनेेंसी में आप अपने इष्ट के दर्शन करें और अपने गर्भ में पल रहें शिशु के लिए प्रार्थना करें। कि आने वाला शिशु इस संसार में पूरी तरह से हैल्दी (healthy) हो और उसका स्वास्थ्य उत्तम (good health) हो।