हमें खाने से पहले फलियां क्यों भिगोनी चाहिए? जानें इसके बारें में क्या है आयुर्वेदिक विशेषज्ञों का मत
आज हम एक ऐसे विषय पर चर्चा करने वाले वाले है, जो भोजन से संबंधित शर्ते और नियमों पर आधारिरत है । परंपरागत रुप से इसका पालन तो सभी करते है परंतु शायद ही इस बारें में किसी ने सोचा होगा। कि हम खाना बनने से पहले ऐसा क्यों करते है। क्या आपके मन में कभी ऐसा विचार आया है कि हम भोजन को पकाने से पहले जैसे – छोले , राजमा, मूंग दाल को क्यों भिगोते हैं?
फलियो को भिगोना सदियों से पूरे भारत में स्वदेशी आबादी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली एक विधि है। हमारे पूर्वजों को यह पता था। कि यह यह हमारे स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है। फलियों, दालों के दुष्प्रभाव से बचने और इन खाद्य पदार्थों के पाचन में सुधार के लिए वह नट, बीज, सेम और कुछ विशेष अनाज को भिगोना जरुरी समझते थे। वह इसके पीछे छिपे स्वास्थ्य लाभों को अच्छे तरह से जानते थे।
पकाने से पहले फलियों के विषय में आयुर्वेदिक विशेषज्ञो का मत है । कि फलियों को भिगोने पाचन,पोषण और अवशोषण में अच्छा सुधार होता है। जब फलियों को भिगो दिया जाता है तो यह अच्छे से पक जाती है । दालों को पकाने से पहले भिगोने पर कई प्रकार के स्वास्थ्य लाभ भी होते है। अच्छे स्वास्थ्य की दृष्टि प्राचीन समय से आयुर्वेदिक सिद्धांतों एवं परंपरागत तरीके से इसे भिगोने का चलन अभी तक चल रहा है।
क्या फलियों के भिगोने से पाचन, पोषण अवशोषण में सुधार होता है?
जी हाँ,
अच्छी तरह से फलियों भिगोने से पाचन और पोषण अवशोषण में सुधार होता है। यही मुख्य कारण है, कि यदि हम फलियों को अच्छे तरीके से खाना चाहते और पोषण चाहते हैं। तो फलियों भिगोना सबसे अच्छा विकल्प है ।
आयुर्वेद के अनुसार कुछ फलियों और दालों में गैस और सूजन पैदा करने की गुण होते है। फलियों और दालों में फाइटेट्स और लेक्टिन होते हैं। जो वास्तव में कोलेस्ट्रॉल को कम करके और शरीर में गैस पैदा करने वाले तत्वों को खत्म करके लाभ पहुंचा सकते हैं।
आयुर्वेद के सिद्धांतों को स्वीकार करते हुए हार्वर्ड के टी.एच. चैन स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ, लेक्टिन और फाइटेट युक्त खाद्य पदार्थों को भिगोना और उबालना इन यौगिकों को बेअसर कर सकता है और संभावित रूप से पाचन संबंधी समस्याओं को कम कर सकता है।
फलियों को भिगोने के लाभ –
दालों एवं फलियों को भिगोने के बहुत सारे स्वास्थ्य लाभ है जो इस प्रकार से दर्शाये गये है –
1. जब आप दाल को कुछ समय के लिए भिगोते हैं तो फाइटेज नामक एंजाइम सक्रिय हो जाता है।
2. फलियों को भिगोने से शरीर के खनिज अवशोषण (mineral absorption) दर में वृद्धि होती है।
3. फाइटेज फाइटिक एसिड (phytic acid) को तोड़ने में मदद करता है। साथ ही कैल्शियम, आयरन और जिंक को एक साथ करने में मदद करता है।
4. भिगोने से अवशोषण प्रक्रिया को बहुत आसान बनाती है। और भिगोने से एमाइलेज (amylase) नामक एक यौगिक भी सक्रिय होता है। जो दाल में जटिल स्टार्च को तोड़ता है और उन्हें पचाने में आसान बनाता है।
5. भिगोने की प्रक्रिया दाल से गैस पैदा करने वाले यौगिकों को भी हटा देती है। अधिकांश फलियों में जटिल ओलिगोसेकेराइड होते हैं, जो एक प्रकार की जटिल चीनी है जो सूजन और गैस के लिए जिम्मेदार होती है।
6. भिगोने के बाद जटिल चीनी (complex sugar) की मात्रा काफी कम हो जाती है जो आपको गैसीय परेशानियों से बचाती है।7. भिगोने की प्रक्रिया से जटिल कार्ब्स को आसानी से दूर किया जा सकता है इससे आपके फ्री कार्ब्स डाइट मिल जायेगी।
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यह खास जानकारी आशा आयुर्वेदा की आयुर्वेदिक विशेषज्ञ डॉ चंचल शर्मा से एक विशेष वार्ता के दौरान प्राप्त हुई ।